हेलो दोस्तों
मेरा नाम आशुतोष कुमार है । आज हम अपनी पहली अनुबंध लिँखने जा रहे है । दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हो हम लोग रोज न रोज
कुछ नया परेशानी से घिरे रहते है । आज हम आपको ऐसे ही कुछ जिंदगी की सच्चाई के बारे में बताने जा रहे है जो आप लोगो को कुछ मदद कर सकता है ।
आज हम भारत के हम शिक्षा बेवस्था के बारे में बताने जा रहे है । और साथ में एक लड़का की कहानी जो आप सभी जैसे पाठको के साथ घटित होगी आशा करता हु जरूर कहानी पढ़िए और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिये ।
दोस्तों कहानी वह से शुरू होती है जहाँ एक बच्चा जनम लेता है और उसके माता-पिता है उसके पूरा जिंदगी की चिंता हुथा लेते है ।
आज मई बात करने जा रहा हु उन्ही में से एक जरुरी चीज की वो है शिक्षा । शिक्षा के बिना कोई भी मनुष्य बेकार है । लेकिन आज जो शिक्षा
हमलोगो को दी जा रही है क्या वो हमारी जिंदगी में वाकई सही काम करती है या वो पूरा बेकार चली जाती है ।
एक बालक का पहला स्कूल उसका घर होता है । घर के बाद वह स्कूल में दाखिला लेता है जिसके बाद वह धीरे धीरे बड़ा होता है और
जिंदगी के अहम् दौर से गुजरने लगता है ।
चलिए बिना समय बर्बाद किये हुए मुद्दे पर आते है ।
मेरा ध्यान आज के प्राइवेट कॉलेजेस पर है जो हमे बेहतर शिक्षा देने का ठेका ले रखा है ।
दरअसल ऐसा कुछ नहीं है बस ये सब एक तरफ से बेवसाये है । हम अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूल में भेजते है पढ़ने के लिए लेकिन आपको क्या लगता है शूल हमे बच्चो को सही शिक्षा दे पा रही है ।
ऐसा बिलकुल नहीं है है वो हमारे बच्चे को एक याद करने की मशीन बना रहे है । बौद्धिक शिक्षा के नाम पर ऐसा कुछ नहीं है एहि कारन है की भारत जो कभी शिक्षा के नाम पर विश्व प्रशिद हुआ करता तरह आज हमरे देशक का रैंक विश्व में १०० से भी बहार है ।
बात शुरू हो जाती है जब एक बच्चा एक स्कूल में दाखिल लेता है और उसकी किसी टाशिवीर को देख कर समझने के शक्ति जायदा रहती है
वह हम्म ग फॉर गेंटेकमन सिखाते है और वह जेंटलमान एक सूट पहने हुए आदमी रहता है अब वो बच्चा समझता है जो सूट पहने हुए आदमी है वो गेंटल आदमी है और दूसरा पोषक देख कर उसे लगता है ये नेकादमी हो नहीं सकता है ।
और ऐसे होते होते बच्चा बड़ा होता है और उसे ऊंच शिक्षा दी जाती है और उस उन्वच शिक्षा में सिर्फ गणित और विज्ञानं को रट्टा लगवाया जाता है। इतना ही नहीं बच्चा रटता अच्छा से लगा ले इसके लिए घर पर भी मास्टर को बुला लिया जाता है ।
अब बच्चा १०थ की परीक्षाएं पास हो चूका है अब उसे बेहतरीन शिक्षा के लिए घर से बहार कही दूर भेज दिया जाता है । अब बच्चा स्पेशल सब्जेक्ट की क्लास शुरू कर देते है और दिन रात मेहनत करहै ।
अब १२थ पास होने के बाद असली खेल शुरू होता है जिसको अभियंता बोलते है मतलब वो चीज जो सिर्फ अभियंता ही बना सकता हिअ ये बायत सिर्फ भारत को छोड़कर पूरी दुनिया में बोली जाती है क्युकी भारत में तो नौकौरी की पड़ी ये नौकरी नहीं नौकर को नाम बदल कर नौकरी रख दी गई और लोग नौकर बनाना भी पसंद करते है ।
बात अब यंहा आती है आख़िरत हमलोग नौकर बनाना क्यों पसंद करते है कुय्की बचपन से एहि सिखाया गया है ।हम्म जब स्कूल में पढ़ते वक़्त जितना एक शिक्षक ध्यान से पढ़ता है उतना ही ध्यान से हमें ये भी बताता है बेटा नौकर बनाना ही सबसे अच्छा है मतलब नौकरी करो ।
हमारे कॉलेज में ये पढ़ाया जाता है की कैंपस सिलेक्शन कैसे हो आप कैसे बड़ी बड़ी कम्पनिया में नौकर बन सके ।
इसके बाद और मजेदार बात शुरू होती है जिंदगी की अहम् कड़ी तो आप बने रहिये इस सच भरी बातो से .....
मेरा नाम आशुतोष कुमार है । आज हम अपनी पहली अनुबंध लिँखने जा रहे है । दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हो हम लोग रोज न रोज
कुछ नया परेशानी से घिरे रहते है । आज हम आपको ऐसे ही कुछ जिंदगी की सच्चाई के बारे में बताने जा रहे है जो आप लोगो को कुछ मदद कर सकता है ।
आज हम भारत के हम शिक्षा बेवस्था के बारे में बताने जा रहे है । और साथ में एक लड़का की कहानी जो आप सभी जैसे पाठको के साथ घटित होगी आशा करता हु जरूर कहानी पढ़िए और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिये ।
दोस्तों कहानी वह से शुरू होती है जहाँ एक बच्चा जनम लेता है और उसके माता-पिता है उसके पूरा जिंदगी की चिंता हुथा लेते है ।
आज मई बात करने जा रहा हु उन्ही में से एक जरुरी चीज की वो है शिक्षा । शिक्षा के बिना कोई भी मनुष्य बेकार है । लेकिन आज जो शिक्षा
हमलोगो को दी जा रही है क्या वो हमारी जिंदगी में वाकई सही काम करती है या वो पूरा बेकार चली जाती है ।
एक बालक का पहला स्कूल उसका घर होता है । घर के बाद वह स्कूल में दाखिला लेता है जिसके बाद वह धीरे धीरे बड़ा होता है और
जिंदगी के अहम् दौर से गुजरने लगता है ।
चलिए बिना समय बर्बाद किये हुए मुद्दे पर आते है ।
मेरा ध्यान आज के प्राइवेट कॉलेजेस पर है जो हमे बेहतर शिक्षा देने का ठेका ले रखा है ।
दरअसल ऐसा कुछ नहीं है बस ये सब एक तरफ से बेवसाये है । हम अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूल में भेजते है पढ़ने के लिए लेकिन आपको क्या लगता है शूल हमे बच्चो को सही शिक्षा दे पा रही है ।
ऐसा बिलकुल नहीं है है वो हमारे बच्चे को एक याद करने की मशीन बना रहे है । बौद्धिक शिक्षा के नाम पर ऐसा कुछ नहीं है एहि कारन है की भारत जो कभी शिक्षा के नाम पर विश्व प्रशिद हुआ करता तरह आज हमरे देशक का रैंक विश्व में १०० से भी बहार है ।
बात शुरू हो जाती है जब एक बच्चा एक स्कूल में दाखिल लेता है और उसकी किसी टाशिवीर को देख कर समझने के शक्ति जायदा रहती है
वह हम्म ग फॉर गेंटेकमन सिखाते है और वह जेंटलमान एक सूट पहने हुए आदमी रहता है अब वो बच्चा समझता है जो सूट पहने हुए आदमी है वो गेंटल आदमी है और दूसरा पोषक देख कर उसे लगता है ये नेकादमी हो नहीं सकता है ।
और ऐसे होते होते बच्चा बड़ा होता है और उसे ऊंच शिक्षा दी जाती है और उस उन्वच शिक्षा में सिर्फ गणित और विज्ञानं को रट्टा लगवाया जाता है। इतना ही नहीं बच्चा रटता अच्छा से लगा ले इसके लिए घर पर भी मास्टर को बुला लिया जाता है ।
अब बच्चा १०थ की परीक्षाएं पास हो चूका है अब उसे बेहतरीन शिक्षा के लिए घर से बहार कही दूर भेज दिया जाता है । अब बच्चा स्पेशल सब्जेक्ट की क्लास शुरू कर देते है और दिन रात मेहनत करहै ।
अब १२थ पास होने के बाद असली खेल शुरू होता है जिसको अभियंता बोलते है मतलब वो चीज जो सिर्फ अभियंता ही बना सकता हिअ ये बायत सिर्फ भारत को छोड़कर पूरी दुनिया में बोली जाती है क्युकी भारत में तो नौकौरी की पड़ी ये नौकरी नहीं नौकर को नाम बदल कर नौकरी रख दी गई और लोग नौकर बनाना भी पसंद करते है ।
बात अब यंहा आती है आख़िरत हमलोग नौकर बनाना क्यों पसंद करते है कुय्की बचपन से एहि सिखाया गया है ।हम्म जब स्कूल में पढ़ते वक़्त जितना एक शिक्षक ध्यान से पढ़ता है उतना ही ध्यान से हमें ये भी बताता है बेटा नौकर बनाना ही सबसे अच्छा है मतलब नौकरी करो ।
हमारे कॉलेज में ये पढ़ाया जाता है की कैंपस सिलेक्शन कैसे हो आप कैसे बड़ी बड़ी कम्पनिया में नौकर बन सके ।
इसके बाद और मजेदार बात शुरू होती है जिंदगी की अहम् कड़ी तो आप बने रहिये इस सच भरी बातो से .....